मंगलवार, 25 अप्रैल 2017

वो कौन हैं जो मर रहे हैं ?

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ये कौन मर रहा है और क्यों मर रहा है ?
जो मर रहा है उसकी पहचान क्या है ?
वो कौन हैं जो अनायास मर रहे हैं ?

क्या इनकी कोई मियाद है की ये कब तक ?
ये सरकारें इस तरह के हमले की जिम्मेदार हैं ?
या जिम्मेदार हैं ही नहीं ?

माओवादी या नक्सलवादी या नेता ?
कौन खतरनाक कितना मुल्क या मानवता के लिए ?
कौन तय करेगा ?

नई राजनीति, नई अर्थनीति, नई विदेशनीति ?

और नई शिक्षानीति, समाजवाद, पूंजीवाद ?
साम्प्रदायिकता, जातिवाद, का अंत क्या है ?

कितने दिनों से इस या उस देश के !
उन काबिल कौमों के ठेकेदारों ने ?
यह दोष दूसरों पर मढ़ते आ रहे हैं ?

इन्हें कौन बताये की जो दोष तुम छुपाये हो
उसी में अपराध के बीज छुपे हुए है।
तभी तो वे निरन्तर अपराध करते आ रहे हैं ?

हत्या, अपहरण, लूट की करामात !
किससे-किससे छुपा रहे हो !
जिसको रोकना था जुर्म, जुर्म उसी से करा रहे हो !

-डॉ.लाल रत्नाकर

गुरुवार, 26 मार्च 2015

ख़बरें !

http://khabar.ndtv.com/news/india/defiant-prashant-bhushan-yogendra-yadav-take-on-aap-leadership-as-truce-talks-fail-749921?utm_source=taboola-dont-miss

योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण जैसे सजग लोगों का टीम केजरीवाल जिसमें महाभ्रष्ट नुमा लोग ऐसी की तैसी कर रहे हैं, ये देश को कितना नुक़सान पहुँचाएँगे उसकी ये एक बानगी मात्र है ये।
जो व्यक्ति मंच से बिहार और उ.प्र. की कुछ जातियों को गाली देता हो, उस पार्टी में भाई योगेन्द्र जी की इस दुर्गति पर मुझे कम से कम कोई आश्चर्य नहीं है !
मेरी सोच और पुख़्ता हो रही है कि जिस जातीय संकीर्णता के योगेन्द्र जी विरोधी रहे हैं, उसी जातीय जकड़ के वे शिकार हो रहे हैं, जाति आपको बुरी लगती होगी यादव जी लेकिन जिनका वजूद ही जाति की वजह से है?
अन्यथा दो कौड़ी के लोग आपका तमाशा खड़ा करें, कहाँ खड़े हैं आप यह मैंने इसी फेब के पिछले पोस्ट पर लिख चुका हूँ। आपका जो कुछ हो रहा है मेरे लिये बिलकुल नया नहीं है मुझे पता था यही होना था, जो डर है वो ये कि प्रशांत भूषण आपके साथ कब तक खड़े रहेंगे।
दूसरी ओर जो आपमें संभावनाएँ देख रहे होंगे उनकी निराशा का क्या होगा, माननीय यादव जी आप जिस नैतिकता और मूल्यों की बात इनसे करते हैं बेमानी है।
मुझे नहीं लगता कि आप ऐसा कर पाएँगे पर आप ये सब उनके साथ करते जिनकी पहचान में आप भी एक कड़ी हैं तो उनका कितना भला होता, राजेन्द्र जी भी आजीवन इस व्रत का अनुपालन किये और आप ने यही कहा था कि जातीय मंचों पर जाने से क़द घटता है और वहाँ जो लोग हैं वे मिशनरी नहीं हैं!
यादव जी ! आपने इन्हें कमतर आँका ये जैसे भी थे जब आप जैसा क़ाबिल, विचारवान नेत्रित्व उन्हे मिलता और आपको भी वो लोग जिन्हें वास्तव में आप जैसे लीडर की निहायत ज़रूरत भी है पर आप इन सुविधाभोगियों के साथ खड़े हैं ये आप को नहीं पचा पाएँगे ?
नई राजनीति की राह रूकी नहीं है खुली है यादव जी आगे आईए साथ आयें भूषण जी तो उनको भी लाईए वो लोग आपका इंतज़ार कर रहे हैं जिन्हें आप से डर नहीं लगता !
बैठिएगा नहीं !
-डा. लाल रत्नाकर 

बुधवार, 26 सितंबर 2012

इस बात को कौन समझाएगा .

इस बात को कौन समझाएगा की  हम क्या अपने प्रति इमानदार हैं और यही सबसे बड़ी इमानदारी होती है. जबकि इस बात की कौन जिम्मेदारी लेगा की वह इमानदार है, इसके साथ ही हमारा भी दायित्व बनता है कि  हम उसे संभालें जिसे इस प्रकार के जिम्मेदार लोगों को सौपना होगा जिनसे इस तरह के इंतज़ाम करने की अपेक्षा की जाती है,  इसके लिए हमें वतन और अपनी जिम्मेदारियों के लिए जिम्मेदार बनना होगा। 
इस बात को कौन समझाएगा .

आप किस पर जा रहे हैं

सामाजिक सरोकारों से जब आगे निकल जाते हैं तब दोरास्ते आते हैं एक तो वह जिसपर बढ़कर देश के लिए कुछ कर पाते हैं दूसरा वह जिसपर जाकर समाप्त हो जाते हैं. आप किस पर जा रहे हैं .

सोमवार, 7 मई 2012

भ्रष्टाचार के नायक

किसके लिए ;
समय  अपने आप  में महत्त्व का होता है, आपका समय  अपने आप  में महत्त्व का हो सकता है, पर समय  महत्त्व का  है या नहीं यह कौन  तय  करेगा, क्या इसे वही तय  करेंगे जो सारे भ्रष्टाचार के  नायक  रहे हैं.